Dooriyan – Nazdeekiyan

मिलना-बिछड़ना कहीं पहुँचने की खुशी कभी, तो कभी कहीं से दूर जाने का गम, ये चंद रिश्ते ही तो हैं, जिन्हे निभाते हुए भी अक्सर, अधूरे रह जाते हैं हम। ज़िंदगी का ये जो दस्तूर है, मिलना-बिछड़ना क्यूँ ,वक़्त का फ़ितूर है, गर तन्हाइयाँ ही लिखी तकदीर में, फिर क्यूँ किसी से मिलना, और मिलContinue reading “Dooriyan – Nazdeekiyan”